REWA RTI खुलासा : लॉकडाउन में विधायक के कहने पर उजाड़ दी थी 100 से अधिक गरीब परिवारों की बस्ती : पढ़िए पूरी खबर

 
REWA RTI खुलासा : लॉकडाउन में विधायक के कहने पर उजाड़ दी थी 100 से अधिक गरीब परिवारों की बस्ती : पढ़िए पूरी खबर

                                                         रीवा से अभिषेक दुबे की रिपोर्ट 

रीवा। शहर के रतहरा तालाब से अतिक्रमण हटाकर नगर निगम एवं जिला प्रशासन ने करीब सैकड़ा भर की संख्या में यहां बसे परिवारों को बेघर कर दिया था। उस दौरान आश्वासन दिया गया था कि इन सबके पुनर्वास की व्यवस्था बनाई जाएगी। तीन महीने से अधिक का समय पूरा होने के बाद भी अब तक कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। हटाए गए परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के वाहन पार्किंग वाले हिस्से में स्थान दिया गया है।


अब बरसात का मौसम चल रहा है जिसकी वजह से पार्किंग में फर्श पर सोने वाले इन गरीब परिवारों के जीवन का खतरा भी उत्पन्न हो गया है। गत दिवस विस्थापित परिवार बब्लू बंसल की दो वर्ष की बच्ची अंशिका की मौत सर्प के काटने की वजह से हो गई है। इस घटना के बाद से नगर निगम प्रशासन की व्यवस्था सवालों के घेरे में है।


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बीते नौ मई को जब इन परिवारों को अतिक्रमण के नाम पर हटाया गया था तो निगम के तत्कालीन आयुक्त सहित अन्य अधिकारियों ने कहा था कि प्रधानमंत्री आवास योजना और आइएचएसडीपी योजना के तहत बनाए गए मकानों में इन्हें रखा जाएगा।

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उस दौरान बढ़ते विरोध को यह कहकर तो अधिकारियों ने शांत कर लिया लेकिन अब फिर से एक बच्ची की मौत हो गई है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि यदि मकान आवंटित कर दिया गया होता तो उक्त परिवार अपने घर पर होता, खुले में सोने की वजह से बच्ची को जहरीले कीड़े ने काट लिया है। कई लोगों ने संभागायुक्त और कलेक्टर के पास भी शिकायत करते हुए उक्त परिवारों के बेहतर तरीके से विस्थापन व्यवस्था करने की मांग उठाई है।

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कार्रवाई की जल्दबाजी में था नगर निगम प्रशासन

हाल ही में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने नगर निगम से कुछ दस्तावेज आरटीआइ के जरिए हासिल की है। जिसमें अतिक्रमण हटाने और ठेकेदार का कार्य जल्द प्रारंभ कराने की नगर निगम को जल्दबाजी होने की बात सामने आ रही है। बताया गया है कि नगर निगम ने प्रशासक द्वारा सितंबर 2019 में दिए गए निर्देशों का हवाला देते हुए अतिक्रमण हटाने की बात कही है। उस दौरान कहा गया था कि तालाब सौंदर्यीकरण के लिए अतिक्रमण तत्काल हटाया जाए। 


करीब आठ महीने तक अधिकारी खामोश रहे लेकिन अचानक जल्दबाजी दिखाई। इस पर निगम के उपायुक्त एपी शुक्ला ने एक रिपोर्ट आयुक्त को सौंपी थी जिस पर उन्होंने संभागायुक्त के निर्देशों का हवाला देते हुए तीन मई को विधायक राजेन्द्र शुक्ला द्वारा दिए गए निर्देशों का भी हवाला दिया है। जिस पर आठ मई को हाउसिंग बोर्ड ने अतिक्रमण हटाने में सहयोग मांगा तो निगम अधिकारियों ने ऐसी जल्दबाजी दिखाई कि उसी दिन जिला प्रशासन और पुलिस को पत्र भेजकर कार्रवाई में सहयोग मांगा, साथ ही दावा किया कि उसी दिन एनाउंस कर लोगों को भी सूचित कर दिया गया। दूसरे दिन नौ मई को सुबह सात बजे से मकान तोडऩा शुरू कर दिया था। सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद ने बताया कि जिम्मेदार अधिकारियों को उन्होंने शिकायत भेजी है लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। अब मामले की शिकायत हाईकोर्ट में करेंगे।


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