Maha shivratri 2022 : रीवा रियासत के किला परिसर में स्थित है दुनिया का अकेला महामृत्युंजय शिवलिंग : शिव पुराण में 1001 छिद्र वाले सफेद शिवलिंग का जिक्र
रीवा। महामृत्युंजय! जिनके नाम लेने मात्र से मौत भी कांप जाती है। शिव रूप में भगवान महामृत्युंजय का मंदिर MP के रीवा जिले में है। यह मंदिर रीवा रियासत के किला परिसर में स्थित है। यह दुनिया का इकलौता मंदिर है। जहां 1001 छिद्र (1001 holes) वाला सफेद रंग का शिवलिंग है। जिसकी खासियत है कि मौसम के साथ रंग बदल जाता है। कहा जाता है रीवा रियासत (Rewa State) की स्थापना के पीछे महामृत्युंजय की अलौकिक शक्ति है। एक रोचक प्रसंग है।
जानिए पूरी कहानी
बांधवगढ़ (Bandhavgarh) से राजा शिकार के लिए आए थे। शिकार के दौरान राजा ने देखा कि एक शेर चीतल को दौड़ा रहा है। जब वह मंदिर वाले स्थान के समीप आया तो शेर चीतल का शिकार किए बगैर भाग गया। राजा यह देखकर हैरत में पड़ गए। राजा ने उस स्थान पर खुदाई कराई। गर्भ में महामृत्युंजय भगवान का सफेद शिवलिंग निकला। जहां मंदिर का निर्माण कराकर पूजा-अर्चना शुरू हो गई। वैसे तो प्रदेश में महाकालेश्वर और मंडलेश्वर मंदिर प्रसिद्ध हैं लेकिन दुनिया का यह एकमात्र मंदिर है जहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन महामृत्युंजय के रूप में होते हैं।
यूक्रेन के ब्लैक सी के बंकर में छिपी "रीवा की नुशरत" ; 500 मीटर की दूरी में हो रहे धमाके
शिव पुराण में सफेद शिवलिंग का जिक्र
महामृत्युंजय मंत्र के जाप से अकाल मृत्यु टल जाती है। ऐसा मानते हैं। सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। महामृत्युंजय मंदिर के निर्माण और मूर्ति स्थापना का वैसे कोई लिखित इतिहास नहीं है लेकिन महामृत्युजंय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) का शिव पुराण में उल्लेख मिलता है। लोक मान्यता है कि अगर एक साथ इन हजार नेत्रों की दृष्टि यदि शिवभक्ति पर पड़ जाए तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है। भय, बाधा, रोग दूर करने और मनोकामना पूरी करने के लिए यहां नारियल बांधा जाता है और बेल पत्र चढ़ाए जाते हैं।
सहस्त्र नेत्रधारी है यह शिवलिंग
कहा जाता है महामृत्युंजय जाप से असमायिक मौत (premature death) को भी टाला जा सकता है। रीवा का यह महामृत्युंजय मंदिर (Mahamrityunjaya Temple) दुनिया का सबसे अनोखा मंदिर है। ये एकमात्र मंदिर है जहां भोलेनाथ के महामृत्युंजय रुप के दर्शन होते हैं।
शिव का यह रुप अकाल मृत्यु, रोग और कलह से मुक्ति देने वाला माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ को तीन नेत्र है इसलिए उन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहा जाता है। लेकिन इस मंदिर के शिवलिंग की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इस सफेद शिवलिंग पर तीन नहीं बल्कि एक हजार नेत्र हैं। इसे सहस्त्र नेत्रधारी शिवलिंग (thousand eyed shivling) भी कहते हैं।