REWA : 50 सीटर बस में 126 लोगों को बैठाया , मनमाना किराया भी वसूला : प्रतिबंध बावजूद रीवा से नागपुर धड़ल्ले से दौड़ रही बसें

 


रीवा। महाराष्ट्र में कोरोना को देखते हुए मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य में आने-जाने वाली बसों पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद रीवा से नागपुर बसें धड़ल्ले से आ-जा रही हैं। यही नहीं, इनमें कोरोना गाइडलाइन की भी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। बसों में यात्रियों को जानवरों की तरह ठूंसकर भरा जा रहा है।

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सोमवार रात रीवा से चलकर नागपुर जाने वाली विजयंत ट्रैवल्स की बस का यही हाल था। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियाे बनाने वाले का दावा है, यह 56 सीटर स्लीपर बस रात 8.30 बजे रीवा बस स्टैंड से रवाना हुई थी। जिसमें 126 यात्रियों को बैठाकर नागपुर तक ले जाया गया है। रीवा आरटीओ मनीष त्रिपाठी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैँ।

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राजेश्वरी तिवारी ​का नागपुर इलाज कराने गए मृदुल तिवारी ने बताया कि रात करीब 8.30 बजे विजयंत ट्रैवल्स की बस रीवा बस स्टैंड से रवाना हुई थी। उस समय बस स्टैंड से ही स्लीपर बस में करीब 82 लोग सवार थे। फिर बाइपास में करीब 9 बजे 15 लोग और सवार हुए। इसी तरह अमरपाटन में 3 लोग और बैठाए गए। फिर मैहर में तो परिचालक ने हद ही कर दी। यहां करीब 26 लोग बैठाकर नागपुर तक ले जाए गए।

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बस का किराया निर्धारित नहीं

एक अन्य यात्री राजेश मिश्रा ने बताया कि रीवा से नागपुर चलने वाली बसों में ​ किराया निर्धारित नहीं है। रीवा बस स्टैंड में तो बुकिंग करते समय 15 सौ से 2 हजार रुपए तक स्लीपर सीट का लेते हैं, लेकिन बुकिंग पूरी होने के बाद रीवा से ही फिर किराया घटाकर 1300 रुपए हो जाता है। अमरपाटन तक 1000 और मैहर तक 900 रुपए लेने लगते हैं। दावा है कि नागपुर की बसों में ज्यादातर मजबूर लोग होते हैं, इसलिए चालक परिचालक फायदा उठाते हैं।

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चोरी ऊपर से सीनाजोरी

बता दें, विंध्य क्षेत्र के ज्यादातर बस मालिकों ने बस ऑनर्स एसोसिएशन के माध्यम से राज्य सरकार और परिवहन कमिश्नर ग्वालियर को पत्र भेजकर कोरोना काल का टैक्स माफ करने के एवज में लाइसेंस सरेंडर करने की मांग की थी। साथ ही, विरोध में कई लोगों ने बसें भी बंद की हैं, लेकिन रसूखदार मोटर मालिक परिवहन विभाग की आंख में धूल झोंक कर बसें संचालित कर रहे हैं।

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कोरोना काल में कोई पूछने वाला नहीं

दावा है कि नागपुर-छिंदवाड़ा सीमा पर आम आदमी को देखने के लिए सख्ती बरती गई है। वहीं, बस मालिक सेटिंग के दम पर उसी तरह आते-जाते रहते है। हांलांकि ग्वालियर ट्रांसपोर्ट कमिश्नर द्वारा 15 जून तक अन्य राज्यों के बसों के संचालन पर रोक लगाई है। फिर भी एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहन प्रवेश करना दावों की पोल खोल रहा है।

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सीधी बस हादसा से नहीं लिया सबक

सीधी बस हादसे के चार माह भी नहीं बीते कि विंध्य क्षेत्र में परिवहन विभाग जख्म भूल गए। ​जहां पर एक साथ 54 चिताएं जली थीं। ये हादसा 17 फरवरी 2021 को हुआ था। जहां पर नगर में 32 सीटर बस में सवार 54 लोग डूब गए थे। पहले दिन 47 शव मिले थे। दूसरे दिन 5 डेड बॉडी और मिली, जबकि दो ​शव चार दिन के मशक्कत के बाद मिले थे।