CRIME : दो पक्षों में हुआ गैंगवार, अबतक हो चुकी है दर्जनों हत्याएं : गैंगवार की ऐसी दस्ता सुन उड़ जाएंगे आपके होश

 

पूर्णिया के बरहारा कोठी थाना क्षेत्र के मोजमपट्टी में हुए गैंगवार में बुच्चन यादव और बालो यादव गुट के खुनी झड़प में आज एक बार फिर दोनों गुटों के एक एक व्यक्ति की हत्या हो गयी.

पूर्णिया : जिले के बरहारा कोठी थाना क्षेत्र का मोजमपट्टी गैंगवार का गवाह रहा है, जहां बुच्चन यादव और बालो यादव गुट में खुनी झड़प कोई नई बात नही है. इन दोनों गुटों के बीच हुए हिंसक झड़प में अब तक दर्जन भर लोगों की मौत हो चुकी है. आज एक बार फिर प्रतिशोध की लड़ाई में दोनों गुटों से एक एक व्यक्ति की हत्या हो गयी.

बालो यादव गुट के समर्थक को बीच सड़क पर किया छलनी

मोज़मपट्टी में बालो यादव का समर्थक माना जाने वाला अरुण यादव रोजाना की तरह गाँव की महिलाओं को लेकर बिहारीगंज बाजार जा रहा था. गाँव से बाहर निकलते ही मुख्य सड़क राजघाट के पास आधा दर्जन अपराधियो ने अरुण यादव को घेर लिया. सभी महिलाओं को उतारकर अरुण पर अंधाधुन गोलियां दाग दी. आनन फानन में उसे पूर्णिया सदर अस्पताल लाया गया , जहाँ उसकी इलाज के दरम्यान मौत हो गयी. अरुण के शरीर पर 4 गोलियां नज़दीक से मारी गयी हैं.

प्रतिशोध में हुई दूसरी हत्या

अरुण यादव के हत्या की खबर इलाके में आग की तरह फ़ैल गयी. इधर अरुण ने सदर अस्पताल में आखरी सांस लिया ही था कि बालो यादव गुट के लोगो को पता चला और फिर प्रतिशोध की लडाई शुरू हो गयी. बुच्चन यादव गुट के लोगों ने शिशवा गाँव मे आए बुच्चन यादव के चचेरे भाई के बेटे रुकसी कुमार को घेरकर गोली मार दी.

मौके पर दो थाने की पुलिस कर रही है कैंप

घटना की सुचना मिलते ही बरहारा कोठी थानाध्यक्ष सुनील कुमार और रघुवंश नगर ओपी अध्यक्ष महादेव कामती अपने दल बल के साथ पहुंचे और मामले की जाँच में जुट गए. बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ कैम्प किए हुए है. घटना के बाद पुलिस के वरीय पदाधिकारी भी नजर बनाए हुए है.

पुरानी है दोनों गुटों की लड़ाई

पूर्णिया के बरहारा कोठी अंतर्गत आने वाले मोज़मपट्टी में खुनी खेल लम्बे समय से चला आ रहा है .बीते वर्ष सरस्वती पूजा में एक बम ब्लास्ट हुआ था, जिसमें अरुण यादव की पत्नी की हत्या भी इसी दोनों गिरोह के गैंगवार में हुई थी. उस हत्याकांड का मुख्य अभियुक्त बुच्चन यादव का पुत्र साहिल सौरभ था, जिसे एसटीएफ ने पटना से गिरफ्तार किया था. इस कांड में खुद बुच्चन यादव का भी पैर बम से उड़ गया था, जिसके बाद बंगाल से गिरफ्तार कर उसे भागलपुर जेल भेजा गया था, जहाँ इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.