Govt Hikes Minimum Wage Rates : केंद्र सरकार ने बढ़ाई मजदूरी : अब प्रतिदिन 1035 रुपये होगी मजदूरी, नई दरें 1 अक्टूबर से लागू
सरकार ने दिवाली से पहले गुरुवार, 26 सितंबर को निर्माण, खनन और कृषि जैसे अनौपचारिक क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी का फैसला किया। यह 1 अक्टूबर से लागू होगी। सरकार का कहना है कि यह बढ़ोतरी महंगाई से निपटने में श्रमिकों की मदद करेगी, क्योंकि औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में 2.40 अंकों की बढ़ोतरी हुई है।
CPI से तय होती है महंगाई
एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है। कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मेन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।
सरकार साल में दो बार रिवाइज करती है मजदूरी
सरकार साल में 2 बार- अप्रैल और अक्टूबर में इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम करने वाले श्रमिकों को मिलने वाली मजदूरी को रिवाइज करती है।
नया वेज तय करने के लिए सरकार कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में 6 महीने की औसत बढ़ोतरी और इन्फ्लेशन को सोर्स बनाती है।
श्रमिकों को मिलेगा इसका लाभ
केंद्रीय क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के अंतर्गत भवन-निर्माण, लोडिंग-अनलोडिंग, स्वीपिंग, क्लीनिंग, हाउसकीपिंग, खनन और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों को इसका लाभ मिलेगा। न्यूनतम मजदूरी दरों को अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल और उच्च कुशल के साथ-साथ भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर ए, बी और सी श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी
संशोधन के बाद भौगोलिक क्षेत्र-ए में निर्माण, झाड़ू लगाने, सफाई करने, लोडिंग और अनलोडिंग में लगे अकुशल श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी दर 783 रुपये प्रतिदिन (20,358 रुपये प्रति माह), अर्धकुशल श्रमिकों के लिए 868 रुपये प्रतिदिन (22,568 रुपये प्रति माह) होगी।
श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई
वहीं, कुशल श्रमिकों के लिए मजदूरी दर 954 रुपये प्रतिदिन (24,804 रुपये प्रति माह) और उच्च कुशल श्रमिकों के लिए 1,035 रुपये प्रतिदिन (26,910 रुपये प्रति माह) होगी। केंद्र सरकार औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई में छह महीने की औसत वृद्धि के आधार पर वर्ष में दो बार वीडीए में संशोधन करती है, जो एक अप्रैल और एक अक्टूबर से प्रभावी होता है।