Shri Ramlila Gurukul : चित्रकूट में बनेगा देश का पहला श्रीरामलीला गुरुकुल, देश के 15 राज्यों की रामलीलाओं की विशेषता और इतिहास को एक स्थान पर सहेजा जाएगा

 

श्रीरामलीला गुरुकुल में प्रारंभिक चरण में 15 राज्यों उप्र, राजस्थान, असम, कर्नाटक, ओडिशा, बिहार, त्रिपुरा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तराखंड, मणिपुर, सिक्किम, लद्दाख सहित मप्र की जनजातीय व पारंपरिक शैलियों को सहेजा जाएगा। अभी ग्रामीण दलों को प्रस्तुतियों के ज्यादा मौके भी नहीं मिल पाते।

भोपाल (Shri Ramlila Gurukul)। मध्य प्रदेश संस्कृति विभाग की ओर से चित्रकूट में भगवान श्रीराम पर केंद्रित देश का पहला श्रीरामलीला गुरुकुल बनाया जा रहा है। इसमें रामलीला से संबंधित सभी जानकारियां दी जाएंगी। इसके साथ ही प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। शोधार्थी यहां आकर रामलीला पर शोध भी कर सकेंगे। इसमें खास बात यह है कि देश-विदेश के जितनी भी श्रीराम पर केंद्रित लीलाएं हैं, उसका समावेश गुरुकुल में मिलेगा। देश के 15 राज्यों की रामलीलाओं की मंचन सामग्री, संगीत, वेशभूषा सहित मंचन विशेषता और इतिहास को एक स्थान पर सहेजा जाएगा।

पांच एकड़ में बनेगा गुरुकुल
यहां इच्छुक कलाकार प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकेंगे। भविष्य में अन्य देशों की रामलीलाओं को इसमें शामिल किया जाएगा। श्रीरामलोक को श्रीराम वनगमन पथ से जोड़ा जाएगा। चित्रकूट में बन रहे वनवासी श्रीरामलोक के पास पांच एकड़ में यह गुरुकुल संचालित होगा। इसके लिए शासन ने जमीन भी आवंटित कर दी है। संस्कृति विभाग के संचालक एनपी नामदेव बताते हैं, रामलीला हमारे देश ही नहीं विश्व की प्राचीन धरोहरों में से एक है। प्राचीन समय से एशियाई देशों में प्रभु श्रीराम की लीलाओं का मंचन गांव-देहात में भी किया जाता रहा है।

विदेश की लीलाओं का भी मिलेगा प्रशिक्षण
आने वाले समय में श्रीरामलीला गुरुकुल में देश ही दुनियाभर के नाट्य लीला दलों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें रूस, अमेरिका, थाइलैंड, कंबोडिया, जकार्ता, श्रीलंका, म्यांमार जैसे देशों के कला दलों को भी प्रशिक्षण का अवसर दिया जाएगा। इन देशों के कलाकार स्थानीय कलाकारों को प्रशिक्षण देंगे। साथ ही वहां की रामलीला की संवाद शैली, वेश-भूषा, गीत-संगीत का संकलन भी किया जाएगा।

युवा पीढ़ी को जोड़ेंगे
चित्रकूट में श्रीरामलीला गुरुकुल तैयार किया जाएगा। इसमें रामलीला के प्रसंगों का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे युवा पीढ़ी को जोड़ा जा सके। गुरुकुल में गुरु-शिष्य परंपरा में प्रशिक्षण दिया जाएगा। रामलीला प्रस्तुति के विभिन्न प्रसंग में संवाद, प्रकाश आदि की बारीकियों से अवगत कराया जाएगा। - एनपी नामदेव, संचालक संस्कृति विभाग मप्र