Rewa News : शहर के लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं अमानक स्तर के पानी विक्रेता
ऋतुराज द्विवेदी,रीवा/भोपाल। पैक ड्रिंकिंग वॉटर का चलन जब से लोगों में बड़ा है तब से शहर में दर्जनभर से ज्यादा जगहों में पैक ड्रिंकिंग वॉटर के नाम पर लोगों के सेहत से खिलवाड़ करने वाले लोगों की एक पूरी टीम तैयार है। जिनके द्वारा बोर अथवा कुएं के पानी को प्लास्टिक के पाउच में एवं छोटी बड़ी बोतलों में पैक करके धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। ठंडी-गर्मी का सीजन होने की वजह से पैक्ड ड्रिंकिंग वॉटर की डिमांड में तेजी से बढ़ोतरी हुई है।
शादी विवाह एवं पार्टियों में छोटी-छोटी प्लास्टिक की बोतलों में पानी देने का चालान इन दिनों जोरों में है जिसका फायदा पैक ड्रिंकिंग वॉटर विक्रेताओं एवं निर्माता द्वारा पूरी तरह से उठाया जा रहा है। सूत्रों की माने तो पैक ड्रिंकिंग वाटर का कारोबार करने वाले ज्यादातर लोगों द्वारा आमानक स्तर का पानी लोगों को पैक करके बेचा जा रहा है। इन निर्माता द्वारा बोर एवं कुएं के पानी को पैक किया जाता है। इसके अलावा 20 लीटर के कंटेनर में पूरे शहर में दुकानदार एवं होटल में ठंडा करके सप्लाई किया जाता है।
कंटेनर का पानी ₹40 से लेकर ₹60 तक प्रति कंटेनर का पानी है। इसी तरह 500 मिलीलीटर वाली बोतल शहर में हर जगह खुलेआम धड्ड्ले से ₹10 में एवं 1 लीटर वाले पानी की बोतल ₹20 में फुटकर बिक्री हो रही है। जबकि थोक में इन्हीं पानी के बोतलों की कीमत अलग-अलग है। 500 मिलीलीटर वाली पानी की बोतल थोक विक्रेताओं द्वारा फुटकर विक्रेताओं को चार रुपए प्रति बोतल के हिसाब से दी जाती है वही 1 लीटर वाली पानी की बोतल लगभग ₹7 में फुटकर विक्रेताओं को दी जाती है।
इसी बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पानी विक्रेताओं द्वारा किस तरह लोगों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा। अगर अनुमान लगाया जाए तो एक खाली प्लास्टिक की बोतल की कीमत लगभग 60-70 पैसे से लेकर ₹1 होगी। अगर यह अनुमान सही है तो ₹3 प्रति लीटर के हिसाब से पानी विक्रेताओं द्वारा कमाई की जा रही है जबकि शहर में संचालित जितने भी पैक ड्रिंकिंग वाटर का कारोबार करने वाले लोग हैं सभी नियम कायदों को दरकिनार कर पैक ड्रिंकिंग वॉटर का कारोबार धड़ल्ले से कर रहे हैं।
पानी की बोतलों में ना तो पैकिंग की तारीख लिखी रहती है ना ही यह लिखा रहता है कि इसको कब तक युज किया जा सकता है। प्रशासन द्वारा इस तरह का कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की कोई पहल भी नहीं की जा रही है। जिसका फायदा पानी विक्रेताओं द्वारा जमकर उठाया जा रहा है। हालांकि अभी हाल ही में संभाग आयुक्त महोदय के निर्देश पर मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी जिसके तहत कई छोटे बड़े प्रतिष्ठानों में छापा मार कर नकली खोवा पनीर एवं नकली खोवे से बनी मिठाइयां भारी तादाद में जप्त की गई। प्रशासन को चाहिए कि इसी तरह का एक अभियान चलाकर अवैध रूप से पानी का कारोबार करने वाले लोगों के ऊपर सक्त कार्रवाई की जाए जिससे की शहर के लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वाले लोगों के कारोबार में अंकुश लग सके।
अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं ये वाटर प्लांट
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शहर एवं उसके आसपास एक सैकड़ा से भी अधिक वाटर प्लांट संचालित हो रहे हैं जिनके द्वारा उत्पादित माल हर शहर के साथ-साथ आसपास के ग्रामीण इलाकों में धड्डले से सप्लाई हो रहा है लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि इन वाटर प्लांट में से दो दर्जन से भी अधिक ऐसे वाटर प्लांट है जिनके अनुज्ञप्ति की अवधि 2 महीने से लेकर 6 महीने पहले ही समाप्त हो चुकी है। बावजूद इसके लगभग सभी वाटर प्लांट के मालिकों द्वारा धड़ल्ले से बाजार में अपने उत्पाद भेजे जा रहे हैं।
एक्वा मिनिरल वॉटर : चोरहटा उद्योग विहार, पंचशील : बूंदहा, तहसील रायपुर,सोनांचल, हर्ष मिनरल्स, सतना मैहर : अमूल जल, रॉयल जल, अदिति जल सहित सैकड़ो जल अवैध रूप से बिना BIS सर्टिफिकेट के संचालित हो रहे हैं।
इसके बावजूद भी प्रशासन मुकदर्शक बना हुआ है। कुछ दिनों में ही वैवाहिक सीजन शुरू होने वाले हैं अगर इसी तरह की अंधेरगर्दी बनी रही और अवैध रूप से संचालित वाटर प्लांटों से पानी सप्लाई होने पर फूड प्वाइजनिंग जैसी समस्या उत्पन्न होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा जिला प्रशासन या अवैध रूप से पानी का प्लांट संचालित करने वाले व्यापारी।