Rewa News : विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय रीवा को बदनाम करने की संगठन के नेता ही कर रहे हैं साजिश

 

रीवा। जब से रीवा विकासखंड शिक्षा अधिकारी का प्रभार  आर एल दीपांकर को मिला है तब से प्रत्येक माह की 1 तारीख को सभी शिक्षकों का वेतन उनके खाते में पहुंच जाता है। जिसके लिए न सिर्फ विकासखंड के शिक्षक खुश हैं बल्कि कई बार उनका स्वागत  सम्मान भी कर चुके हैं।

शासन स्तर से ही व्यवस्था बनाई गई है कि आईएफएमएस पोर्टल से वेतन जनरेट कर ही कोषालय के माध्यम से खाते में राशि भेजी जाए। जिसका पालन विकासखंड रीवा में अक्षरशः किया जाता है। इतना ही नहीं समयावधि  में वेतन कर्मचारियों को भुगतान किए जाने हेतु विकासखंड रीवा के कर्मचारी रात 10:00 बजे तक भी समय-समय पर काम करते हैं।

जिले में अध्यापकों का एक ऐसा समूह है जो लोकायुक्त में वर्ष 1998 में चिन्हित हुए थे। जिनका प्राथमिक शिक्षक में आज तक सम्विलियन नहीं हुआ है। और ना ही इन्हें आईएफएमएस पोर्टल से वेतन मिलता है। उनके वेतन के लिए संकुल प्राचार्य स्तर से पृथक से बिल बनाकर वीईओ कार्यालय भेजा जाता है जिसे कोषालय में लगाकर उनकी राशि भुगतान की जाती है।

शिक्षक संगठन के किसी पदाधिकारी को ढाल बनाकर लोकायुक्त के नाम से चिन्हित सहायक अध्यापकों ने प्रिंट मीडिया पर यह न्यूज़ छपाई है की वीईयो कार्यालय द्वारा हीला हवाली कर उनका वेतन प्रत्येक माह नहीं दिया जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि आईएफएमएस पोर्टल का वेतन भुगतान होने के दूसरे दिन इनका बिल कोषालय में प्रस्तुत कर दिया जाता है। कौषालय स्तर से जो भी विलंब होता है उसके लिए वीईओ कार्यालय उत्तरदाई नहीं है। बावजूद इसके संगठन के पदाधिकारी वीईओ को बदनाम करने के लिए ऊल-जुलूल खबरें समाचार पत्रों में छपवा रहे हैं।

इस संबंध में जब हमारी टीम ने रीवा विकासखंड शिक्षा अधिकारी से दूरभाष पर बात की तो उनके द्वारा बताया गया कि शासन के दिए गए निर्देश के आधार पर दीपावली के पूर्व वेतन भुगतान करने के लिए 27 तारीख को ही बिल उनके द्वारा जनरेट कर कोषालय भिजवा दिया गया है। वेतन भुगतान में जो भी विलंब हुआ है वह कोषालय स्तर से है न कि वीईओ कार्यालय के द्वारा।

शासन के नियम है कि किसी भी विभागीय वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ कर्मचारी सीधे-सीधे पत्राचार या समाचार नहीं छपबा सकता है इस संबंध में भी उन्होंने कार्यवाही करने का निर्देश दिए हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि किसी कर्मचारी का यदि कोई स्वत्व या भुगतान लंबित है तो पहले वह संस्था में आकर अधिकारी कर्मचारी से संपर्क करें यदि उनकी सुनवाई न की जाए तब फिर वह स्वतंत्र है । लेकिन समाचार पत्रों में खबर छपवाकर वाहवाही लूटने वाले संगठन के पदाधिकारी का यह कृत्य निंदनीय है। वहीं स्थानीय समाचार पत्र में छपी खबर का कोई हार्ड कॉपी भी समाचार पत्र के कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।