MP के महानगर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित सभी जिलों में 35 हजार यात्री बसों का संचालन ठप : आर्थिक तंगी में हजारों ड्राइवर

 
MP के महानगर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित सभी जिलों में 35 हजार यात्री बसों का संचालन ठप : आर्थिक तंगी में हजारों ड्राइवर

भोपाल । कोरोना काल में लोक परिवहन सेवा पर ग्रहण लग गया है। भोपाल सहित पूरे मध्य प्रदेश में लोक परिवहन व्यवस्था ठप है। 23 मार्च से अब तक प्रदेश के महानगर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित सभी जिलों में 35 हजार यात्री बसों का संचालन पूरी तरह बंद है। शहरों के भीतर सिटी बसों, कैब, मैजिक वाहनों, आटो का संचालन भी यात्रियों की कमी से पटरी पर नहीं आ पा रहा है। कुछेक वाहन कोविड ड्यूटी में लगे हैं। अधिकांश वाहन चालक अब आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि शासन ने अनलॉक-1 व 2 में प्रदेश के वाहन संचालकों को केंद्र सरकार की ओर से तय कोरोना से बचाव की गइडलाइन का पालन कर लोक परिवहन सेवा के वाहनों का संचालन करने का आदेश दिया था। अनलॉक-1 में 50 फीसद यात्रियों को बैठा कर संचालन करने और अनलॉक-2 में सामान्य रूप से संचालन का आदेश जारी किया। कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या कम नहीं होने से भोपाल में 10 दिन का लॉकडाउन है। इससे वाहनों का संचालन नहीं हो रहा है। प्रदेश के अन्य शहरों में भी कोरोना से बचाव को लेकर बहुत ही इमरजेंसी में 30 फीसद तक ही लोग कैब, आटो, मैजिक वाहनों में सफर कर रहे हैं।

बसों का मामला हाई कोर्ट में, सरकार ने साधी चुप्पी

मध्य प्रदेश के बस संचालक सरकार से छह महीने के टैक्स माफी की मांग कर रहे हैं। बस संचालकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। टैक्स माफी का मामला कोर्ट में जाने के बाद परिवहन विभाग के आला अधिकारी कुछ भी नहीं बोल रहे हैं। बसों का संचालन बंद है। 390 करोड़ रुपये प्रदेश में अलग-अलग मार्गों पर संचालित 35 हजार बसों का टैक्स माफी पर बस संचालकों और शासन में तकरार जारी है। फैसला अब हाई कोर्ट को ही करना है। इस बारे में डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (वित्त) गुणवंत सेवतकर का कहना है कि बसों की टैक्स माफी को लेकर कुछ बस संचालक हाईकोर्ट गए हैं।

शहरों के भीतर 30 प्रतिशत ही यात्री मिल रहे

भोपाल में लॉकडाउन के कारण जिन 200 कैब को संचालित करने की जिला प्रशासन से अनुमति मिली है, उन्हें भी इमरजेंसी में यात्री नहीं मिल रहे हैं। बाकी वाहनों का संचालन पूरी तरह से बंद है। इसी तरह इंदौर, उज्जौन, ग्वालियर, जबलपुर सहित अन्य जिलों में कोरोना के डर से 70 फीसद लोग स्वयं के वाहनों से ही आना-जाना कर रहे हैं। 30 फीसद ही लोग यात्री वाहनों से सफर कर रहे हैं।

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लोक परिवहन सेवा देने वाले वाहन

- 35 हजार यात्री बसें प्रदेश में हैं।

- 15 हजार कैब।

- 80 हजार मैजिक वाहन

- 1.25 लाख आटो की संख्या

- 1.5 लाख से ज्यादा चालक, परिचालक व हेल्पर जिन्हें परिवहन सेवा से रोजगार मिलता है।

- 25 लाख यात्री प्रेदश में बसों, आटो, कैब, मैजिक वाहनों सहित अन्य यात्री वाहनों स परिवहन सेवा का रोज लाभ उठाते हैं।


3 लाख आटो पार्ट्‌स सहित ऐसे लघु उद्यागों से जुड़े लोग जो परिवहन सेवा ठप होने से प्रभावित हैं।

(नोट : प्रदेश के लोगों को लोक परिवहन की सेवा मुहैया कराने वाले वाहनों की संख्या वाहन यूनियन व संचालकों से मिली जानकारी के मुताबिक दी गई है। अंतर संभव है।)

प्रदेश सरकार ने टैक्स माफ नहीं किया तो हाई कोर्ट जाना पड़ा। फिलहाल प्रदेश में 35 हजार बसों का संचालन नहीं हो रहा है। शहरों के भीतर जो वाहन चल रहे हैं, उनमें भी यात्री नहीं बैठ रहे हैं। घाटे में कोई कब तक गाड़ियां चलाएगा? इससे परिवहन सेवा पटरी पर आना मुश्किल ही लग रहा है। - गोविंद शर्मा, अध्यक्ष मप्र प्राइम रूट एसोसिएशन

साल 2010 से प्रदेश में सड़क परिवहन निगम की ओर से संचालित बसों का संचालन बंद है। निजी बस संचालक टैक्स माफी की मांग कर रहे हैं। सरकार छह माह अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितंबर का टैक्स माफ नहीं कर रही है। मामला हाई कोर्ट में है। आम लोगों को परिवहन की सुविधा नहीं मिल पा रही है। बाकी राज्यों में बसों का संचालन हो रहा है, क्योंकि वहां बसों के संचालन की कमान सरकारों के हाथ में है। श्यामसुंदर शर्मा, परिवहन विशेषज्ञ


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