MP LIVE : विधानसभा की नई व्यवस्था : प्रश्नकाल के लिए ट्रेंड किए जाएंगे विधायक, बोले; सरकार और विपक्ष दोनों से मिला सहयोग
विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा हो गया है। मंगलवार को मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उनके इस कार्यकाल में किसी भी सदस्य की ओर से आसंदी पर आक्षेप नहीं लगा। यही उनकी सबसे बड़ी सफलता है। सरकार और विपक्ष दोनों की तरफ से सहयोग मिला है। उन्होंने बताया कि आगामी विधानसभा सत्र से एक बड़ा बदलाव करने जा रहे हैं। यह बदलाव प्रश्नकाल से जुड़ा है। प्रश्नकाल के दौरान विधायक अपने प्रश्न से हटकर कोई बात नहीं कर सकेंगे।
विधानसभा स्पीकर ने बताया कि विधायकों की प्रश्नोत्तरी आती है। यानी प्रश्नकाल में विधायक खड़े होकर पूरे प्रश्न पढ़ते हैं, फिर उसके उत्तर पढ़ते हैं। इसके बाद वे कहते हैं कि मैं इस उत्तर से संतुष्ट नहीं हूं। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा। अब किसी भी विधायक को प्रश्नकाल में प्रश्न-उत्तर नहीं पढ़ने दिया जाएगा। विधायक को पूरी तैयार के साथ प्रश्नकाल में जाना होगा। अपना सवाल पॉइंट टू पॉइंट पूछना होगा, ताकि मंत्री को भी जवाब देने में सहूलियत हो सके।
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इस बदलाव के चलते विधानसभा में एक घंटा विधायकों की ब्रीफिंग की जाएगी। प्रश्नकाल में जिन विधायकों के प्रश्न लगे हैं उन्हें विधानसभा स्पीकर के कक्ष में बुलाया जाएगा। इस दौरान उन्हें बताया जाएगा कि किस तरह प्रश्न पूछना है। जिससे प्रश्नकाल में विधायकों द्वारा बनाई जाने वाली भूमिका में नष्ट होने वाले समय को खराब होने से बचाया जा सके। इससे 25 प्रश्नकाल में से हर एक का उत्तर मिल सके। जिस तरह से मंत्री अपना उत्तर देने के लिए तैयार होकर आते हैं, उसी तरह प्रश्न करने वाले विधायक को तैयार होकर आना होगा।
हर प्रश्न में बचेगा 8 से 10 मिनट का समय
विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि ब्रीफिंग के बाद भी कोई विधायक इस व्यवस्था का पालन नहीं करता है तो उसके प्रश्न को पास कर अगले प्रश्न की ओर आगे बढ़ा जाएगा। इससे हर एक विधायक प्रश्न और उत्तर पढ़ने के दौरान जो 8 से 10 मिनट खर्च करते हैं, उसे बचाया जा सकेगा। अब उसे सीधे पॉइंटेड बात रखनी होगी।
1 साल के कार्यकाल में किए कार्य
भूतपूर्व विधायकों को 3 मार्च को बुलाया है। उनसे चर्चा की जाएगी। उनकी समस्याओं को सुना जाएगा। इसके बाद उनकी समस्याओं का निराकरण किया जाएगा।
विधानसभा समितियों के स्वरूप को बदला गया है। यह कमेटी हर उद्देश्य के हिसाब से बनाई है। प्रोटोकॉल और विशेषाधिकार समिति अलग-अलग की गई है, ताकि स्पष्टता बनी रहे।
10 साल से कर्मचारियों को आवास की सुविधा नहीं मिल रही थी। 48 कर्मचारियों को आवास मिले।
वाहन पूल में मिलते थे। मंत्रालय में उप सचिव स्तर के अधिकारी को वाहन की सुविधा है। अब विधानसभा के अधिकारियों को अलग से वाहन सुविधा उपलब्ध कराई गई।
2008 से उत्कृष्ट पुरस्कार समारोह नहीं हो सका। इसे इसी साल से शुरू करने का निर्णय लिया। इसके लिए कमेटी बना दी गई है। यह पुरस्कार विधायक, मंत्री और पत्रकारों को दिए जाते हैं।