Olympic Games Paris 2024 : राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ी उभर कर आए सामने, बड़े मंच पर हासिल कर सकते हैं सफलता : उम्मीद बरक़रार
Olympic Games Paris 2024 : कैमूर में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाले कई खिलाड़ी उभर कर सामने आए, लेकिन प्रोत्साहन व सुविधा नहीं मिलने से होनहार खिलाड़ियों की उम्मीदें टूट रही हैं। बस खुद के हौसले से राष्ट्रीय खेल तक पहंुचने के बाद इनका कॅरियर वहीं तक सीमित होकर रह जाता है। पेरिस ओलंपिक का आगाज हुआ तो खेल प्रेमियों को याद आया कि किस तरह संघर्ष कर यहां के कुछ खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का डंका अंतरराष्ट्रीय खेलों में भी बजाया।
अपने दमखम व हौसले के बूते महुअर के जयप्रकाश सिंह व सहुका के प्रेम सिंह का सफर क्रमश: कॉमनवेल्थ गेम, सैफ गेम व विश्व पुलिस गेम तक पंहुचा। जिले में खेल के अतीत व वर्तमान पर गौर करें तो खेल ने कैमूर को राष्ट्रीय फलक पर नई पहचान दी है। जिले के खिलाड़ियों में फुटबॉल, वालीबॉल, क्रिकेट, कबड्डी लोकप्रिय खेल रहा है। इन सभी खेलों की प्रतियोगिताएं स्थानीय स्तर पर आयोजित होती रही हैं। हालांकि जिले को कुश्ती व एथलेटिक्स जैसी स्पर्धाओं ने ही गौरव प्राप्त कराया है।
बता दें कि कैमूर राज्यस्तरीय ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिता में वर्ष 2000 से 2003 तक लगातार ओवरऑल चैंपियन रह चुका है। ओपन बिहार में भी दर्जनों एथलीटों ने अपनी प्रतिभा दिखाई है। रामगढ़ की बेटियां कोच आलोक सिंह की देखरेख में कैमूर के लिए स्टेट वालीबॉल का खिताब तीन साल पहले जीत चुकी हैं। कुश्ती में एकलव्य प्रशिक्षण केन्द्र बिछियां में है। इसमें पुरुष पहलवान अभ्यास करते हैं। लेकिन, बेटियों को यहां अभ्यास करने की इजाजत नहीं। खेल के समकक्ष स्टंट में इंडिया के हैमर हेडमैन धर्मेन्द्र सिंह ने गिनीज बुक में कई रिकॉर्ड दर्ज कराया है।
राष्ट्रमंडल खेल में जेपी व सैफ गेम में प्रेम ने जीत चुके हैं मेडल
सहुका के एथलीट जयप्रकाश सिंह ने कॉमनवेल्थ गेम में डेकाथलन में मेडल जीता। खेल गतिविधियों में अब भी जेपी सिंह बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। खिलाड़ियों को टिप्स देते हैं। सहुका गांव के प्रेमचंद सिंह ट्रिपल जंप के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रहे। अपने कॅरियर में इन्होंने शानदार सफलताएं हासिल की। ढाका सैफ गेम व वर्ल्ड पुलिस गेम में स्वर्ण पदकों की हैट्रिक पूरा किया। इसके अलावा ऑल इंडिया पुलिस मीट समेत अन्य चैंपियनशिप में 16 स्वर्ण समेत 30 से अधिक पदक जीते। बिहार सरकार ने खेल दिवस के मौके पर इन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा। यह अवार्ड पानेवाले प्रेमचंद बिहार के सबसे कम उम्र के एथलीट रह चुके हैं। फिलहाल प्रेमचंद बिहार पुलिस में डीएसपी के पद पर तैनात हैं।
मां घुड़सवारी में तो बेटी ने शूटिंग में दिखाई प्रतिभा
प्रेमचंद की पत्नी व बिहार पुलिस में इंस्पेक्टर उमा सिंह अंतरराष्ट्रीय एथलीट रह चुकी हैं। पांच साल पहले पटना में आयोजित राष्ट्रीय घुड़सवारी चैंपियनशिप की गोल्डमेडलिस्ट रह चुकी हैं। नौकरी के साथ-साथ महिला एथलीटों को ट्रेनिंग देती हैं। इन्हें भी खेल दिवस पर सर्वश्रेष्ठ महिला कोच का पुरस्कार मिल चुका है। प्रेमचंद व उमा सिंह की इकलौती बेटी ऋचा सिंह राष्ट्रीय शूटर है। नेशनल शूटिंग में 04 व स्टेट शूटिंग में 20 गोल्ड मेडल झटक चुकी हैं। छह साल पहले पटना में क्लीन स्वीप करते हुए पांच स्वर्ण जीता। यही नहीं बिहार में शूटिंग में पांच स्वर्ण जीतने के हैट्रिक रिकॉर्ड का इतिहास भी ऋचा के ही नाम है। राष्ट्रीय शूटिंग में ऑल इंडिया जीवी मावलंकर चैंपियनशिप में चार मेडल जीता है।
राष्ट्रीय कुश्ती में कैमूर की नई पौध की धाक
राष्ट्रीय कुश्ती में कैमूर की नई पौध की धाक है। इन पहलवानों को सरकारी मदद व ट्रेनिंग मिले तो इनका कॅरियर बुलंदियों को छूने में समर्थ बन सकता है। स्टेट कुश्ती में 20 से अधिक गोल्ड मेडल जीत चुकी बिहार कुमारी अन्नू गुप्ता ने इसी साल नेशनल गेम्स की कुश्ती में ब्रांज मेडल बिहार की झोली में डाला। ऐसा करने वाली वह बिहार की पहली महिला रेसलर है। इस खिलाड़ी को बिहार की गोल्डेन गर्ल के नाम से भी जाना जाता है। पूनम यादव सैंबो एशियन चैंपियनशिप में मेडल जीत चुकी है। कई राष्ट्रीय कुश्ती में हिस्सा ले चुकी है। नीरज पासवान राष्ट्रीय कुश्ती में पांच मेडल व मुलायम खरवार, भोला व शिवम समेत दर्जनभर पहलवान राष्ट्रीय कुश्ती में मेडल जीत अपने कॅरियर को संवारने में जुटे हैं। जितेन्द्र ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धा में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं। इन्हें सरकारी स्तर पर प्रोत्साहन मिले तो कैमूर में खेल की अपार संभावनाएं हैं।