REWA : दिवाली आई तो विंध्य में बिकने लगी सिंथेटिक खोवे की मिठाई
Oct 30, 2018, 18:39 IST
रीवा। खुशियों के त्यौहार दीपोत्सव पर जनमानस के स्वास्थ्य से खिलवाड़ के लिये जिले में बड़े पैमाने पर दूषित मिठाईयो की बिक्री की तैयारी शुरू हो गई है। छोटी-मोटी दुकानों के अलावा नामी व्यापारी भी नकली खोवा से मिठाईयां तैयार कराने में जुटे हुए हैं। हालांकि इस बार इन व्यापारियों पर स्वास्थ्य विभाग की पैनी नजर है।
जानकारी के अनुसार दीवाली पर मिठाईयों की बंपर बिक्री को देखते हुए मिठाई विक्रेताओं ने अपने कारखानों में अभी से ही विभिन्न तरह की मिठाईयां बनाने की तैयारी में लगे हुए हैं। इनमें गुलाब जामुन, छेना, बालूशाही, समेत मावे से बनी छप्पन तरह की मिठाईयां है जो हफ्ते दस दिन पहले बनी होने के कारण पूरी तरह दूषित हो जाती है, लेकिन फिर यह मिठाईयां दुकानों पर बड़े पैमाने पर ऊंचे भावों में बिकती है।
जानकारी के अनुसार दीवाली पर मिठाईयों की बंपर बिक्री को देखते हुए मिठाई विक्रेताओं ने अपने कारखानों में अभी से ही विभिन्न तरह की मिठाईयां बनाने की तैयारी में लगे हुए हैं। इनमें गुलाब जामुन, छेना, बालूशाही, समेत मावे से बनी छप्पन तरह की मिठाईयां है जो हफ्ते दस दिन पहले बनी होने के कारण पूरी तरह दूषित हो जाती है, लेकिन फिर यह मिठाईयां दुकानों पर बड़े पैमाने पर ऊंचे भावों में बिकती है।
दीवाली के दो-तीन दिन बाद तक भी इन मिठाईयों की बिक्री बदस्तूर जारी रहती है। जानकारों की मानें तो मावे समेत दूध, घी और बेसन से बनी ज्यादात्तर मिठाईयां दो दिन के अंतराल में दूषित हो जाती है जो मानव स्वास्थ्य के लिये घातक साबित हो सकती है। हांलाकि स्वास्थ्य महकमें की टीम ने पिछले वर्ष दीपावली के पहले अभियान चलाकर जिले में कई क्विटंल दूषित मावा जब्त कर नष्ट किया था। साथ ही कई दुकानों से मिठाईयों के सेंपल भी लिए थे, जो अमानक पाए गए थे।
नियमों की परवाह नहीं
विभाग के नियमानुसार बाजार में कोई भी हलवाई या दुकानदार तैयार की गई खाद्य सामग्री को खुले में नहीं रख सकता है। खाद्य सामग्री तैयार करने के बाद उसे बंद काउंटर में रखना आवश्यक है, ताकि उस पर मक्खी व धूल-मिट्टी नहीं जम सके। दुकान पर यदि काउण्टर की व्यवस्था नहीं हो तो फिर संचालक को उसे प्लास्टिक की थैली से ढककर रखना होता है। इसके बाद भी जिले के बाजारों में संचालित हलवाई, चाट-पकौड़ी की दुकान, ठेलों पर यह खाद्य सामग्री खुले में रखी जाती है। इसमें कचौरी, समोसा, जलेबी, नमकीन, दही, चाट-पकौड़ी आदि प्रमुख हैं।
विभाग के नियमानुसार बाजार में कोई भी हलवाई या दुकानदार तैयार की गई खाद्य सामग्री को खुले में नहीं रख सकता है। खाद्य सामग्री तैयार करने के बाद उसे बंद काउंटर में रखना आवश्यक है, ताकि उस पर मक्खी व धूल-मिट्टी नहीं जम सके। दुकान पर यदि काउण्टर की व्यवस्था नहीं हो तो फिर संचालक को उसे प्लास्टिक की थैली से ढककर रखना होता है। इसके बाद भी जिले के बाजारों में संचालित हलवाई, चाट-पकौड़ी की दुकान, ठेलों पर यह खाद्य सामग्री खुले में रखी जाती है। इसमें कचौरी, समोसा, जलेबी, नमकीन, दही, चाट-पकौड़ी आदि प्रमुख हैं।
ग्वालियर, मानिकपुर से आती है खेप
जिले में मिलावटी खोवा की खेप ग्वालियर वा मानिकपुर से आती है। प्रतिदिन व्यापारी ट्रेन एवं बस के माध्यम से खेप को रीवा पहुंचाते हैं, जिसे दुकानदार खुलेआम अपने कारखाने तक ले जाते हैं। त्योहारों के समय यह खेप दस गुनी तक बढ़ जाती है। लेकिन इस पर नजर रखने वाला कोई नहीं होता है।
जिले में मिलावटी खोवा की खेप ग्वालियर वा मानिकपुर से आती है। प्रतिदिन व्यापारी ट्रेन एवं बस के माध्यम से खेप को रीवा पहुंचाते हैं, जिसे दुकानदार खुलेआम अपने कारखाने तक ले जाते हैं। त्योहारों के समय यह खेप दस गुनी तक बढ़ जाती है। लेकिन इस पर नजर रखने वाला कोई नहीं होता है।
सिंथेटिक खोवे का हो रहा इस्तेमाल
इस कारोबार से जुड़े व्यापारियों के अनुसार दीपावली के समय मिठाईयों की मांग काफी ज्यादा हो जाती है। ऐसे में दुकानदार सिंथेटिक खोवे का इस्तेमाल धड़ल्ले से करते हैं, जिससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यह खोवा 10 से 15 दिन पहले आना शुरू हो जाता है, जिससे मिठाईयां बनने भी लगती है। बाद में इन्हीं मिठाईयों को बेंचा जाता है।
दूषित खोवा से तैयार की जाने वाली मिठाईयों और ऐसे दुकानदारों पर नजर बनी हुई है। सूचना मिलने पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। साथ ही बाहर से आने वाले खोवा की धर पकड़ कर जब्त किया जाएगा। टीम द्वारा आगामी दिनो से अभियान चला कर मिठाईयों के सेंपल लिए जाएंगे।
ओपी साहू, जिला खाद्य एवं औषधि अधिकारी
ओपी साहू, जिला खाद्य एवं औषधि अधिकारी