REWA : विंध्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल SGMH में बुजुर्ग की जगह युवक का कर दिया दाहसंस्कार, चिकित्सक निलंबित

 
REWA :  विंध्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल SGMH में बुजुर्ग की जगह युवक का कर दिया दाहसंस्कार, चिकित्सक निलंबित

रीवा. संजय गांधी अस्पताल में चिकित्सकों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। गलत टैग लगाकर कोरोना पॉजिटिव बुजुर्ग का शव मच्र्युरी में रखव दिया। उसकी जगह दूसरे कोरोना संदिग्ध युवक का शव अंतिम संस्कार के लिए भेज दिया गया। जवान बेटे की मौत की खबर पाकर आए परिजनों को दो दिन तक अस्पताल प्रबंधन गुमराह करता रहा। बेटे की जगह बुजुर्ग का शव देखकर परिजरों ने अस्पताल प्रबंधन से लेकर अफसरों के दफ्तर तक जमकर हंगामा किया। पूर्व विधायक सुखेन्द्र ङ्क्षसह भी मौके पर पहुंचे। देरशाम शव के अदली-बदली में चिकित्सों पर लापरवाही तय करते हुए संभागायुक्त राजेश कुमार जैन ने डीन के जांच प्रतिवेदन पर डॉक्टर राकेश पटेल को निलंबित कर दिया गया। मामले में परिजनों ने उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।


पांच अगस्त को कराया था भर्ती
जिले के मऊगंज के बेल्हाई गांव निवासी रामविशाल कुशवाहा ने 22 वर्षीय बेटे विवेक कुशवाहा को भर्ती कराया था। तबियत बिगडऩे पर 7 की शाम को कोविड-19 वार्ड में भेज दिया गया। जहां युवक की मौत हो गई। अस्पताल के कु-प्रबंधन के चलते मच्र्युरी में चिकित्सकों ने विवेक के टाई बैग की बजाए एक बुजुर्ग के टाई बैग में विवेक का टैग लगा दिया गया। जिससें बुजुर्ग का शव का अंतिम दाहसंस्कार नहीं हुआ। बल्कि बुजुर्ग की जगह विवेक का दाहसंस्कार कर दिया गया। जिसे लेकर परिजन दूसरे दिन हंगामा कर दिया। जांच में खुलासा होने पर प्रथम द्ष्टया वार्ड में ड्यूटी डॉक्टर राकेश पटेल को नंलिबत कर दिया गया गया है।


जिंदा बच्चा चाहिए
जिले के मऊगंज के बेल्हाई गांव निवासी मृत विवेक के पिता रामविशाल कुशवाहा अस्पताल परिसर में चीख-चीखकर कह रहे थे कि मुझे जिंदा बच्चा चाहिए। हमने तो जिंदा भर्ती किया था। मेरा बेटा कोरोना पॉजिटिव नहीं था। बुखार से पीडि़त होने पर उसे मऊगंज ले गए। संजय गांधी अस्पताल 5 अगस्त को देरशाम भर्ती कराया था। 7 अगस्त को तबियत ठीक होने पर टहलने लगा था। देरशाम अचानक डॉक्टरों ने उसे तीसरी मंजिल पर भर्ती कर दिया। अस्ताल में 24 घंटे तक किसी तरह की सूचना नहीं दी गई। 9 अगस्त को सीएमओ ने बताया कि बच्चे की मौत हो गई। दाहसंस्कार कर दिया गया। परिजनों का आरोप है कि बगैर सूचना दिए दाह संस्कार कर दिया। कार्रवाई की मांग पर अड़े हुए हैं।


बुजुर्ग खुशीराम के टैग में लगा दिया विवेक का टैग
अस्पताल में 7 व 8 अगस्त को चार लोगों की मौत हो गई थी। सभी का शव मच्र्युरी में रख दिया गया। जिसमें दो रीवा व दो सतना के थे। मच्र्युरी के रेकार्ड के मुताबिक 8 अगस्त को रीवा के एक और सतना के दोनों शव को अंतिम संस्कार के लिए नगर निगम को सौंप दिया गया। दूसरे दिन 9 अगस्त को मऊगंज के मृतक विवेक कुशवाहा के परिजन पहुंचे तो विवेक के टाई बैग को दिखाया गया। जिसमें बुजुर्ग का शव दिखा। इस पर परिजनों ने कहा, हमारा बेटा (22) साल का है। ये तो बुड्ढा है। जिससे इस बात की पुष्टि हो गई कि रीवा के जिस शव को नगर निगम को अंतिम संस्कार के लिए दिया गया वह खुशीराम का नहीं बल्कि विवेक का शव था। प्रारंभिक जांच में भी इस बात की पुष्टि हो रही है कि खुशीराम के टाईबैग में विवेक का टैग लगा दिया गया। जिससे खुशीराम की जगह विवेक का अंतिम दाहसंस्कार कर दिया गया। जबकि अभी भी मच्र्युरी में खुशीराम के शव के टाईबैग में विवेक का टैग लगा हुआ है। टैग बदलने के चक्कर में विवेक के शव को लेकर दो दिन से परिजन अफसरों के पास भटकते रहे।


सस्पेक्टेड को मरीजों के वार्ड में कर दिया भर्ती
एसजीएम में चिकित्सकों की लापरवाही इस कदर है कि सामान्य वार्ड में तबियत थोड़ी ठीक होने के बाद विवेक को 7 अगस्त को सस्पेक्टेड बताकर कोरोना वार्ड में भर्ती कर दिया। और देररात चिकित्सकों ने मृत घोषित कर मच्र्युरी में रखव दिया।


टाईबैग में युवक की जगह मिली बुजुर्ग का शव
एसजीएमएच में आठ अगस्त को (बीते 24 घंटे) के बीच चार की मौत हो गई थी। जिसमें तीन की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई थी। जबकि एक की रिपोर्ट नहीं आई थी। इसके बाद भी सस्पेक्टेड के रूप में मच्र्युरी के संक्रमित फीजर में शव को रखवा दिया गया। दूसरे दिन 9 अगस्त को परिजन पहुंचे। टाई बैग में 75 वर्षीया बुजुर्ग का शव देख परिजनों के पैरों तले की जमीन खिकस गई। जिम्मेदार एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ते रहे। जांच कराने का आश्वासन देकर परिजनों को शांत करा दिया था।


अफसरों के पास नहीं रहा कोई जवाब
अस्पताल में विवेक कुशवाहा के पिता राम विशाल कुशवाहा बेटे की लाश को लेकर अफसरों की चौखट पर भटकता रहा। पिता 9 अगस्त को सुबह से लेकर देररात तक अस्पातल, सीएमएचओ, नगर निगम कार्यालय में अफसरों की चौखट पर भटकता रहा। रविवार होने के कारण अस्पताल को छोड़ अन्य दफ्तरों में अधिकारी नहीं मिले। लेकिन, बेटे के शव को पता लगाने के लिए परिजन कलेक्टर, कमिश्नर सहित अन्य अफसरों के मोबाइल फोन घनघनाते रहे। लेकिन, किसी के पास कोई जवाब नहीं रहा।

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