REWA : बंद हो रहे रिसर्च, 'महाविद्यालय' बन गया है रीवा का APSU
Oct 2, 2018, 17:08 IST
रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय की नैक ग्रेड न बढ़ने और अकादमिक कद छोटे पड़ जाने की बड़ी वजह यही है कि इस विश्वविद्यालय में एमफिल और पीएचडी पाठ्यक्रम का संचालन न के बराबर हो गया है। ऐसे में नियमित कोर्स चलाकर विश्वविद्यालय सिर्फ आर्थिक लाभ ले रहा है। जबकि रिसर्च के विषय ही विश्वविद्यालय की मुख्य भूमिका हैं। मगर दोनों ही पाठ्यक्रम इस सत्र में शुरू नहीं हो पाए। ऐसे में अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय ही बाकी कॉलेजों के समान प्रतीत होने लगा है।
गौरतलब है कि अगस्त माह में एम फिल के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन कराया गया था मगर उसमें सिर्फ विषयवार प्रश्न पूछे गए थे। जबकि एम फिल के प्रवेश परीक्षा में 50 अंकों में रिसर्च मैथेडोलॉजी और 50 नम्बर के विषय संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसे में विवि के पांच संकाय अध्यक्षों द्वारा आयोजित परीक्षा परिणाम में आपत्ति दर्ज की गई थी। जिसके बाद एम फिल के प्रवेश थम गए। सूत्रों की मानें तो इस सत्र एम फिल के एडमीशन होना काफी मुश्किल है। मगर रिसर्च विषय में पढ़ाई करने के लिए विश्वविद्यालय में एडमीशन पाने के लिए इंतजार कर रहे विद्यार्थियों का एक साल बर्बाद हो गया।
शोध नहीं हुए, कैसे बढ़े NAAC की ग्रेड
वैसे तो कॉलेजों में रेग्युलर पाठ्यक्रम संचालित होते हैं। मगर विश्वविद्यालय की पहचान उसके शोध कार्यों से होती है। परंतु विश्वविद्यालय के दोनों रिसर्च पाठ्यक्रम संचालित ही नहीं हो रहे हैं। ऐसे में विवि भी अन्य महाविद्यालयों की तरह हो गया है। यही वजह है कि विश्वविद्यालय की नैक ग्रेड अच्छी नहीं है। जहां विद्यार्थियों का समय बर्बाद हो रहा है, वहीं विश्वविद्यालय को भी अकादमिक क्षति पहुंच रही है। जिससे यहां की छवि धूमिल होती जा रही है।
वैसे तो कॉलेजों में रेग्युलर पाठ्यक्रम संचालित होते हैं। मगर विश्वविद्यालय की पहचान उसके शोध कार्यों से होती है। परंतु विश्वविद्यालय के दोनों रिसर्च पाठ्यक्रम संचालित ही नहीं हो रहे हैं। ऐसे में विवि भी अन्य महाविद्यालयों की तरह हो गया है। यही वजह है कि विश्वविद्यालय की नैक ग्रेड अच्छी नहीं है। जहां विद्यार्थियों का समय बर्बाद हो रहा है, वहीं विश्वविद्यालय को भी अकादमिक क्षति पहुंच रही है। जिससे यहां की छवि धूमिल होती जा रही है।
छह साल बाद भी नहीं हो सके पीएचडी के प्रवेश
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में आखिरी बार 2012 में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई थी। जिसके बाद इस सत्र में नए एडमीशन के लिए शोध के विषय के साथ-साथ एडमीशन की तिथि तो जारी की गई मगर प्रवेश परीक्षा नहीं हो सकी। विश्वविद्यालय में पीएचडी करने के लिए जिन विद्यार्थियों द्वारा फार्म भरे गए, उन्हें यह भी ज्ञात नहीं कि प्रवेश परीक्षा कब कराई जाएगी। ऐसे में विश्वविद्यालय का सबसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम ही संचालित नहीं हुआ।
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में आखिरी बार 2012 में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई थी। जिसके बाद इस सत्र में नए एडमीशन के लिए शोध के विषय के साथ-साथ एडमीशन की तिथि तो जारी की गई मगर प्रवेश परीक्षा नहीं हो सकी। विश्वविद्यालय में पीएचडी करने के लिए जिन विद्यार्थियों द्वारा फार्म भरे गए, उन्हें यह भी ज्ञात नहीं कि प्रवेश परीक्षा कब कराई जाएगी। ऐसे में विश्वविद्यालय का सबसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम ही संचालित नहीं हुआ।
विश्वविद्यालय ने सिर्फ एक बार प्रवेश परीक्षा तिथि की घोषणा की थी, जिसके बाद उक्त तिथि को रद्द करते हुए एक महीने बाद दूसरी दिनांक जारी करने की बात कही गई थी। मगर चार माह बीत जाने के बाद भी विवि प्रबंधन द्वारा प्रवेश परीक्षा का आयोजन नहीं कराया गया। ऐसे में एक बार फिर एक साल के लिए विवि का पीएचडी पाठ्यक्रम अटक गया।