REWA : विश्वविद्यालय में नंबर बेचने का खेल, बीएड की फेल छात्रा को 73 नंबर देकर जारी कर दी पास की अंकसूची

 
REWA : विश्वविद्यालय में नंबर बेचने का खेल, बीएड की फेल छात्रा को 73 नंबर देकर जारी कर दी पास की अंकसूची

रीवा. अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में एमएससी के रिजल्ट लीक होने का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ था कि सोमवार को एक और सनसनी खेज मामला प्रकाश में आया है। विश्वविद्यालय की ओर से बीएड की परीक्षा में अनुत्तीर्ण एक छात्रा को उत्तीर्ण की अंकसूची जारी कर दी गई। 

इसके लिए संबंधित विभाग के अधिकारियों ने चार्ट में प्रायोगिक के नंबरों में ओवर राइटिंग कर मनमानी नंबर चढ़ाए। इसके बाद कुल अंक में ओवर राइटिंग की गई। प्रायोगिक की जिन दो विषयों में यह खेल किया गया उनमें अंडरस्टेंडिंग द सेल्फ एवं अंडर स्टेंडिंग ऑफ आईसीटी है।

इन दोनों विषयों की प्रायोगिक परीक्षा में छात्रा अनुपस्थित थी, लेकिन जिम्मेदारों ने विश्वविद्यालय की गरिमा का ख्याल न रखते हुए दोनों अनुपस्थित विषयों में नंबर चढ़ाए। अंडरस्टेंडिंग द सेल्फ विषय में 27 नंबर चढ़ाए गए। जिससे इस विषय का कुल नंबर 18 से बढ़कर 45 पहुंच गया। इसी प्रकार अंडर स्टेंडिंग ऑफ आईसीटी में 24 नंबर चढ़ाया गया। जिससे इसका नंबर 19 से बढ़कर 43 हो गया।

यह है पूरा मामला
छात्रा बीएड द्वितीय वर्ष की परीक्षा अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से दी। छात्रा द्वितीय वर्ष की दो प्रायोगिक परीक्षा में शामिल नहीं हुई। जिसकी वजह से विश्वविद्यालय की ओर से उसे अनुत्तीर्ण की अंकसूची जारी की गई। जनवरी 2019 में विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने अनुपस्थित के स्थान पर मनमानी नंबर चढ़ाकर उसे उत्तीर्ण की अंकसूची जारी कर दी।

7 जनवरी 2019 को उसे पास की अंकसूची जारी की गई। छात्रा ने द्वितीय वर्ष की परीक्षा में हकीकत में कुल 564 अंक प्राप्त किया था। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने उसमें 73 अंक बढ़ा दिए जिससे द्वितीय वर्ष के अंक बढ़कर 637 हो गया। इस प्रकार छात्रा का पहले एवं दूसरे वर्ष का कुल नंबर 1150 से बढ़कर 1223 हो गया।

यह है नियम 
विश्वविद्यालय के जानकारों के मुताबिक यदि कोई स्टूडेंट्स किसी भी कोर्स में प्रायोगिक या फिर अन्य किसी विषय की परीक्षा में किसी कारण से शामिल नहीं हो पाता तो उसकी दोबारा परीक्षा ली जा सकती है, लेकिन इसके लिए कुलपति की अनुमति आवश्यक है। नियमानुसार ऐसे मामलों की फाइल तैयार की जाती है। जिस पर कुलपति अनुमति देते हैं। अनुमति के बाद परीक्षा विभाग संबंधित स्टूडेंट्स की परीक्षा कराने की पूरी व्यवस्था करता है। इस मामले में इस तरह की किसी भी प्रक्रिया का पालन किए बिना विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने संबंधित बीएड के छात्रा के नंबर बढ़ाए और उसे उत्तीर्ण की अंकसूची जारी कर दी। इस पूरे कारनामें को बेहद गुपचुप तरीके से अंजाम दिया गया, जिससे किसी को भनक न लगे।

मामला सामने आया तो पर्दा डालने लगे 
अधिकारियों की यह करतूत जब बाहर आ गई तो वे आनन - फानन में पर्दा डालने में जुट गए। अधिकारियों ने निमयों को ताक में रखकर बिना निर्धारित प्रक्रिया पूरी किए दोबारा चार्ट में ओवर राइटिंग कर डाली। अधिकारियों ने दोनों प्रायोगिक परीक्षाओं में छात्रा को दिए गए मनमानी नंबर में ओवर राइटिंग कर उसे फिर से अनुपस्थित कर दिया।

जो नंबर बढ़ाए गए थे उसे भी काट दिया गया। केवल सेशनल के 22 नंबर छोड़कर अन्य सभी पहले की ही भांति कर दिया गया। अब एक बार फिर द्वितीय वर्ष का कुल नंबर बदल गया। अब यह 637 से घटकर 586 हो गया। वहीं दो वर्ष का कुल नंबर भी बदलकर 1223 से 1172 हो गया।

संबंधी है छात्रा
बताया जा रहा है कि जिन अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने इस करतूत को अंजाम दिया है छात्रा उनकी संबंधी है। यही वजह है कि उस पर इस प्रकार की दरियादिली दिखाई गई है। रिजल्ट जारी होने के दो वर्ष बाद उसके प्रायोगिक अंकों में सुधार कर उसे अंकसूची जारी कर दी गई। ‘अभी हम बाहर हैं। आपके माध्यम से हमें इस मामले की जानकारी मिल रही है। यदि ऐसा है तो हम चार्ट मंगाकर जांच कराएंगे। जिसे भी अधिकारी - कर्मचारी इसमें शामिल होगा। उस पर कार्रवाई होगी ’। प्रो.केएन सिंह यादव, कुलपति

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