Sidhi में ट्रेन नहीं पहुंच पाई, रीवा में जहाज शुरु हो गया : BJP विधायक रीति पाठक को डिप्टी सीएम ने दिया जवाब

 
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विधानसभा में बजट सत्र के आखिरी दिन सीधी विधायक रीति पाठक ने जिले की खराब स्वास्थ्य सेवाओं, डॉक्टरों की कमी का मामला उठाया। बीजेपी विधायक पाठक ने डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला उनके विभाग से जुड़ा सवाल करते हुए कहा ''आप जिस तरह रीवा का ध्यान रखते हैं वैसे ही सीधी जिले और पूरे प्रदेश के स्वास्थ्य के विषय पर ध्यान दीजिए।''

दरअसल विधायक पाठक ने सीधी जिला अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी और पद भरने के संबंध में सवाल पूछा था। स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल की ओर से मिले जवाब से वे संतुष्ट नहीं हुईं। ये दूसरा मौका था जब विधायक रीती पाठक ने डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री शुक्ल पर सीधे तौर पर निशाना साधा है।

इससे पहले सीधी में एक कार्यक्रम के दौरान मंच से मौजूद उपमुख्यमंत्री शुक्ल पर निशाना साधा था। विधायक ने आरोप लगाते हुए कहा था कि जिला अस्पताल के विकास के लिए जारी 7 करोड़ रुपए की राशि गायब हो गई। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग को 6 से 7 बार पत्र लिखा, लेकिन उपमुख्यमंत्री की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। साथ ही रीति पाठक ने डिप्टी सीएम से रीवा से निकलकर सीधी में भी विकास करने की बात कही थी।

अब पढ़िए सदन में क्या बोलीं विधायक पाठक
मुख्‍यमंत्री जी ने संवेदनशील स्‍थल के लिये संवेदनशील भावनाओं के साथ एक संवेदनशील व्‍यक्ति का चुनाव किया है। उनसे हमारी उम्‍मीद इतनी हो जाती है कि मुझे लगता है कि जो सामान्‍य उम्‍मीद है उससे कई गुना ज्‍यादा बढ़कर होती है।
रीति पाठक ने कहा चूंकि, अभी उत्तर मैंने देखा है। यह पहले सवाल के जवाब में लिखा है कि पद पूर्ति एक निरंतर प्रक्रिया है। समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है, तो निरंतर, अनवरत और सतत प्रक्रिया का हमें भी ज्ञान है।

पाठक ने आगे कहा- मैं बड़े ही विनम्रता से उपमुख्‍यमंत्री जी से यह निवेदन करना चाहती हूं कि उपमुख्‍यमंत्री जी, जो स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री भी हैं। मैं आपको बताना चाहती हूं और चूंकि, आपको तो पता ही होगा कि हमारे सीधी जिले की स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था हमेशा हाईलाइटेड रहती है। अभी परसों की बात है और उसके एक दिन पहले की भी बात है। हम गंभीरता से इस विषय पर व्‍यक्तिगत रूप से चर्चा करेंगे अगर आप अनुमति देंगे तो, पर अनुमति नहीं मिल पाती है।

रीति ने कहा- हमारे जिला चिकित्‍सालय में जब हम विशेषज्ञों की बात करें तो 36 पद स्‍वीकृत हैं, जिसमें 12 पदों पर विशेषज्ञ कार्यरत हैं, सिर्फ 12 पद ही खाली हैं और इसमें जो रिक्‍त पद हैं, उनकी संख्‍या 24 है, तो हमारा अस्‍पताल कैसे चलेगा? और अगर मैं यहां पर चिकित्‍सा अधिकारी की बात रखूं तो 21 पद स्‍वीकृत हैं, इसमें 17 पदों पर चिकित्‍सक काम कर रहे हैं। जिसमें संविदा और रेगुलर इन दोनों को मिलाकर मैं बात कर रही हूं।

चूंकि, उत्तर तो मैंने पहली ही पढ़ दिया है, अब आप उसी चीज को फिर कहेंगे। हमारा आदिवासी बाहुल्‍य जिला है और वहां पर बड़ी आवश्‍यकता है, यदि इतने हाईलाइटेड हम लोग सिर्फ स्‍वास्‍थ्‍य व्‍यवस्‍था की अव्‍यवस्‍था में होंगे तो कैसे काम चलेगा?

डिप्टी सीएम राजेन्‍द्र शुक्‍ल ने दिया जवाब
पदों की रिक्‍तता के बारे में तो मेरा जवाब जैसा प्रताप ग्रेवाल जी का सवाल था, वैसा ही है कि हमारी कोशिश रहेगी यदि कोई वैधानिक अड़चन नहीं आएगी तो अक्‍टूबर के महीने तक भर्ती की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। जो डॉक्‍टरों की कमी है, उसकी प्रतिपूर्ति हो जायेगी। जब तक नियमित डॉक्‍टरों के पद खाली हैं, तो एनएचएम के माध्‍यम से भी हमारी कोशिश रहती है कि विशेषज्ञ और चिकित्‍सा अधिकारी हम एनएचएम से संविदा पर लेकर और उसकी प्रतिपूर्ति करते हैं, तो आपको कुछ और इंतजार करना पड़ेगा। आपकी संवेदनशीलता को मैं समझ रहा हूं।

स्वास्थ्य मंत्री के जवाब पर पाठक ने पूछा- कोई समय सीमा?

विधायक पाठक के सावल पर डिप्टी सीएम शुक्‍ल ने कहा, हमने बताया है कि अक्‍टूबर के महीने तक हमारी पूरी कोशिश है। क्‍योंकि, इंटरव्‍यू हो गया, आवेदन आएंगे, पीएससी में पांच बोर्ड बैठते हैं, उसमें कई गुना ज्‍यादा अभ्‍यर्थीं आ जाते हैं, तो उनके इंटरव्‍यू में थोड़ा समय लगता है। लेकिन आपके लिये बड़े संतोष की बात है कि डॉक्‍टर मोहन यादव जी की सरकार ने आईपीएचएस नार्म्‍स को जो अप्रूवल दिया है, उससे मानव संसाधन की कमी की एक बहुत बड़ी परेशानी दूर हुई है। तो आने वाले समय में आपकी यह कमी दूर हो जायेगी।

मंत्री शुक्ल ने आगे कहा- आपने जो स्‍वास्‍थ्‍य सेवा और ट्रांसफर की बात कही है, तो इस समय वैसे भी ट्रांसफर पर बैन लगा हुआ है। आम तौर पर तो किसी का ट्रांसफर किसी जिले से दूसरे जिले में हो नहीं सकता है, बहुत विशेष परिस्थितियों में ही होता है, लेकिन, यदि इसके बावजूद कुछ हुआ है तो मैं देख लूंगा और आप तो कभी भी मिल सकती हैं, बात कर सकती हैं और आपका सारा काम हो सकता है।

पीपीपी मोड की जगह सरकार जवाबदारी ले
विधानसभा में रीती पाठक ने कहा- मेरा दूसरा प्रश्‍न यह है कि प्रधानमंत्री जी ने और हमारी तत्‍कालीन मध्‍यप्रदेश सरकार ने मिलकर हमारे सीधी जिले में मेडिकल कॉलेज स्‍वीकृत कराया था। जिसकी प्रक्रिया निरंतर चल रही है। जिला प्रशासन के माध्‍यम से मिलकर जमीन को आवंटित कर लिया है। लेकिन, उसमें भी लगातार यह लगा हुआ है कि यह इधर चेंज हो जाये, उधर चेंज हो जाये। लेकिन मुझे उससे मतलब नहीं है।

मैं इस मामले को लेकर लगातार चिंतित रहती हूं और सवाल पूछती हूं तो यह जवाब आया है कि पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए पहले चरण के टेंडर में किसी निविदाकार की कोई बिड प्राप्त नहीं हुई। मैं ये कहती हूं कि बिड प्राप्त होगी भी नहीं। 

मैं यह बात आपको बहुत कांफिडेंस के साथ कह रही हूं कि नहीं होगी, क्‍योंकि सीधी इस स्‍तर का जिला ही नहीं है। यहां पर लगातार अगर हम कुछ अच्‍छा करने का प्रयास करेंगे तो बहुत सारे लोग हैं, जो पूरी ताकत के साथ उसको बिगाड़ने का प्रयास करते हैं। मेरा कहने का मतलब यह है कि पीपीपी मोड से तो इसको हटा दें। सरकार इसको अपने संरक्षण में ले। आप जैसे संवेदनशील जनप्रतिनिधि, जो स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हैं, इसको अपने संरक्षण में लें। सरकार के संरक्षण में हमारे यहां का मेडिकल कॉलेज हो।

हमारा सीधी आदिवासी बाहुल्‍य जिला है। हमारे यहां लोग आर्थिक रूप से बहुत कमजोर भी है, इंडस्‍ट्रियल एरिया भी नहीं है। अभी तक हमारे यहां ट्रेन भी नहीं पहुंच पाई है और बगल के जिले में तो आप जैसे आदरणीय जनप्रतिनिधि ने तो वायुयान सेवा शुरू कर दिया है। और हम लोग तो वैसे ही बेचारे बनकर बैठे हैं। इसलिए आपकी विशेष दृष्टि की आवश्‍यकता है।

डिप्टी सीएम बोले- संभागीय मुख्यालय में एयरपोर्ट सबके लिए
विधायक पाठक के सवाल का जवाब देते हुए डिप्टी सीएम राजेन्‍द्र शुक्‍ल ने कहा, केन्‍द्र सरकार और राज्‍य सरकार की उड्डयन की जो नीति है, उसमें 200 किलोमीटर पर ही एयरपोर्ट बन सकता है, तो संभागीय मुख्‍यालय में एयरपोर्ट अगर बना है, तो वह सिर्फ हमारे लिए ही नहीं बना है, आपके लिए भी बना है। आप उसका पूरा उपयोग करिए और राजेन्‍द्र सिंह (अमरपाटन विधायक) भी उसका पूरा उपयोग करें। राजेन्‍द्र जी दो-दो प्‍लेन चल रहे हैं, भोपाल से रीवा और तीसरा रीवा से इंदौर 72 सीटर प्लेन चलने वाला है। यह सब आप लोगों के लिए किया जा रहा है। इसपर स्पीकर ने मजाकिया अंदाज में कहा- आप इनको ले जाईए। डिप्टी सीएम राजेन्‍द्र शुक्‍ल ने कहा- परसों हमें जाना है, परसों आपका टिकट करवा लेते हैं।

विधायक पाठक के पीपीपी मोड में निर्माण कराए जाने के सवाल पर डिप्टी सीएम ने कहा- रीती जी ने जहां तक पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज शुरू करने की बात उठाई है, तो यह नीतिगत फैसला हुआ है। क्‍योंकि आज कल निजी निवेश को भी प्रोत्‍साहन करने का केन्‍द्र सरकार भी बहुत जोर दे रही है। डॉ. मोहन यादव की सरकार भी इसको बहुत तेजी के साथ आगे बढ़ा रही है। निजी पूंजी निवेश में भी जो मेडिकल कॉलेज खुलते हैं, उसमें भी एडमिशन तो 80 से 90 प्रतिशत बच्‍चों की फीस तो सरकार ही जमा करती है। तो बच्‍चों को कोई परेशानी होनी नहीं है।

और उनके जो अस्‍पताल खुलते हैं उसमें भी आयुष्‍मान कार्ड योजना से 80 से 90 प्रतिशत का इलाज उसी प्रकार होता है, जैसे सरकारी अस्‍पताल में होता है। इसलिए कोई भी निवेश आए, किसी भी मॉडल से कोई भी मेडिकल कॉलेज बन जाए, इसका हम लोग प्रयास कर रहे हैं।

एक बार टेंडर किया था कोई आया नहीं। 12 जिलों में ये पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। 12 जिलों के जितने भी जनप्रतिनिधि हैं उनके लिए भी यह जवाब है। आपने ऐसा सवाल पूछा है जिसका जवाब कई लोगों को मिल रहा है। 30 मार्च तक दूसरी बार जब ऑफर आ जाएगा तो उसमें यह स्पष्टता आ जाएगी कि कौन से जिले में निवेश करने के लिए लोग रुचि ले रहे हैं और उसके बाद फिर आगे निर्णय करेंगे।

सीधी में कोई इन्‍वेस्‍ट नहीं करना चाहता
विधायक पाठक ने कहा, मैं ऐसा मानती हूं कि पीपीपी मॉडल सीधी जैसे जिलों के लिए उचित नहीं है, यहां पर कोई भी बड़ा इंडस्‍ट्रियल एरिया, बड़े व्‍यक्ति यहां पर इन्‍वेस्‍टमेंट नहीं करना चाहते हैं। मेरा निवेदन फिर से यही है कि इसको सरकार अपने संरक्षण में ले और सीधी जिले का उद्धार करें। ये आदिवासी एरिया है। रीती पाठक ने आगे कहा- पिछड़ा जिला है, आयुष्‍मान कार्ड में हर विषय सम्‍मलित नहीं रहता। हर चीज के लिए उनको फीस अदा करनी पड़ती है।

सिंह भी अपना प्रश्‍न कर लें, वे भी सीधी जिले से हैं
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने चर्चा के दौरान कहा कि कांग्रेस विधायक अजय सिंह भी अपना प्रश्न कर लें वो भी इसी जिले के हैं। इस दौरान सिंह ने कहा कि मैं बहन रीती पाठक की बातों का समर्थन करता हूं। सीधी जिला एक आदिवासी और पिछड़ा जिला है। उप मुख्‍यमंत्री महोदय पड़ोसी जिले के हैं वहां स्‍वास्‍थ्‍य में सब सुविधायुक्‍त है। हमारे जिले का ये जो पीपीपी मॉडल है। कृपा करके उसको स्‍थगित कर दें, क्‍योंकि उसमें हम लोगों को कोई लाभ नहीं होने वाला। एकाध व्‍यक्ति जिसको आप चाहते होंगे उसका लाभ होगा।

मोहन यादव की सरकार चाहती होगी उस व्‍यक्ति को, आम जनता का सुधार नहीं होने वाला। आपसे अनुरोध है जो रीती पाठक ने बात कही है, कम से कम ये जो गरीब आदिवासी जिले हैं, आपने 12 जिलों की बात कही है, हम नहीं जानते कौन कौन से जिले हैं। लेकिन जो आदिवासी जिले हैं, वहां पर पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज की स्‍थापना न हो, क्‍योंकि सरकार ने 200-400 करोड़ रुपए खर्च कर दिए सीधी जिले में इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर पर, अब हाथों-हाथ किसी और को दे देंगे, यह उचित नहीं है। हमारी व्‍यवस्‍था सुधरवा दीजिए बस इतना ही कहना है।

कांग्रेस विधायक के सवाल पर डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ल ने कहा, अजय जी ने जो कहा कि मैं जिसको चाहूंगा उसको काम मिल जाएगा। इतना लंबा अनुभव होने के बाद इतनी सतही बात आप कर रहे हैं, मुझे तो बड़ा आश्चर्य हो रहा है। क्योंकि पारदर्शी तरीके से आज ई-टेंडरिंग में देश और दुनिया में बैठा हुआ कोई भी आदमी कहीं भी टेंडर डालता है, किसको मिलता है, तो इसलिए यह बात बिल्कुल भी आपत्तिजनक है, जो आपने बात कही। दूसरी जहां तक है।

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